Baba Kanshi ram History in Hindi, Baba kanshi Ram Birth Place
कांशी राम का जन्म 11 जुलाई 1882 को हिमाचल के जिला काँगड़ा के देहरा तहसील के डाडासिबा गाँव में हुआ।
उनका विवाह महज 7 वर्ष की उम्र में हो गया था और उनकी पत्नी की उम्र महज 5 वर्ष थी।
11 वर्ष की उम्र में इनके पिता का निधन हो गया और पुरे परिवार की जिमेवारी इन पर आ गई।
काम की तलाश में वो लाहौर चले गये। उस वक्त देश में अंग्रेज़ी हकुमत थी और अंग्रेज़ी हकुमत के खिलाफ आज़ादी के लिए काफी आन्दोलन हो रहे थे।
लाहौर में इनकी मुलाकात अन्नय स्वतंत्रता सेनानियो लाला हरदयाल, मौलवी बरकत अली और सरदार अजीत सिंह के साथ हुई।इनके साथ आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।
संगीत का भी शौक रखने वाले कांशी राम की मुलाकात सूफी अम्बा प्रसाद और लाल चन्द फलक से भी हुई।
जिनसे उन्होंने लाहौर की धोबी घाट मंडी में संगीत सिखा और लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए गाना शुरू किया।
वो पहाड़ी भाषा में लिखते और गाते थे। वो गांव-गांव जाते और देशभक्ति के गाने और कविताएं गाते और सुनाते थे।
उनकी कविता की कुछ पंक्तिया “ भारत मां जो आजाद कराणे तायीं मावां दे पुत्र चढ़े फांसियां हंसदे-हंसदे आजादी दे नारे लाई..मैं कुण, कुण घराना मेरा, सारा हिन्दुस्तान ए मेरा भारत मां है मेरी माता, ओ जंजीरां जकड़ी ए.ओ अंग्रेजां पकड़ी ए, उस नू आजाद कराणा ए..” बहुत मशहूर हैं
जलियांवाला बाग़ हत्याकांड के दौरान वो अमृतसर में थे। यहाँ ब्रिटिश हकुमत के खिलाफ आवाज़ उठाने पर इन्हे लाला लाजपत रॉय के साथ दो साल के लिए धर्मशाला जेल में डाल दिया गया।
इस दौरान उन्होंने कई कविताएं और कहानियां लिखीं। उनकी सारी रचनाएं पहाड़ी भाषा में थीं।
सजा खत्म होते ही वे अपने गांव पहुंचे और यहां से उन्होंने घूम कर अपनी देशभक्ति की कविताओं से लोगों को जागृति किया।
वो 11 बार जेल गए और अपने जीवन के 9 साल सलाखों के पीछे काटे। उन्होंने 1 उपन्यास, 508 कविताएं और 8 कहानियां लिखीं।
1937 में जब जवाहर लाल नेहरू होशियारपुर में एक सभा को संबोधित करने आए तो यहां मंच से नेहरू ने बाबा कांशीराम को पहाड़ी गांधी कहकर संबोधित किया।
उसके बाद से कांशी राम को पहाड़ी गांधी के नाम से जाना जाता है।15 अक्टूबर 1943 को बाबा कांशी राम ने आखरि साँस ली।
स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान के चलते 23 अप्रैल 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने कांगड़ा के ज्वालामुखी में बाबा कांशी राम पर एक डाक टिकट भी जारी कीया था।
डाडासिबा गावं में एक सरकारी स्कूल की ईमारत इनके नाम पर है।
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